शिक्षा की कमी का दुष्परिणाम
— एक चिंतनशील ब्लॉग
शिक्षा मानव जीवन की आधारशिला है। यह न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि एक व्यक्ति के चरित्र, सोच और सामाजिक व्यवहार को भी आकार देती है। किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। लेकिन जब शिक्षा का अभाव होता है, तो इसके दुष्परिणाम गहरे और दूरगामी होते हैं।
1. सामाजिक असमानता और बेरोजगारी
शिक्षा की कमी से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि व्यक्ति के पास रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं। बिना शिक्षा के न तो कौशल विकसित हो पाता है, न ही आत्मविश्वास। इससे बेरोजगारी बढ़ती है, जो गरीबी और सामाजिक असमानता को जन्म देती है। गरीब व्यक्ति शिक्षा के अभाव में एक बेहतर जीवन की कल्पना भी नहीं कर पाता।
2. अंधविश्वास और रूढ़िवादिता का विस्तार
शिक्षा के अभाव में लोग वैज्ञानिक सोच नहीं अपना पाते। वे अंधविश्वास, टोना-टोटका और झूठे धार्मिक प्रपंचों में फँसे रहते हैं। इससे समाज में रूढ़िवादिता पनपती है और प्रगति की राह अवरुद्ध होती है।
3. अपराध और भ्रष्टाचार में वृद्धि
अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों में सही और गलत का विवेक कम होता है। वे आसानी से गलत रास्तों पर चल पड़ते हैं, जिससे अपराध दर में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, जब शासन-प्रशासन में भी शिक्षा की कमी होती है, तो भ्रष्टाचार बढ़ता है और न्याय की अवधारणा कमजोर पड़ती है।
4. लोकतंत्र का क्षर
एक साक्षर नागरिक ही अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकता है। शिक्षा के बिना लोग अपने मताधिकार का सही उपयोग नहीं कर पाते। वे भावनाओं में बहकर गलत प्रतिनिधियों को चुन लेते हैं, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है।
5. स्वास्थ्य और जीवन स्तर पर प्रभाव
शिक्षा का सीधा संबंध स्वास्थ्य से भी है। शिक्षित व्यक्ति स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व समझता है। अशिक्षित लोग बुनियादी स्वास्थ्य नियमों की अनदेखी करते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ता है और जीवन स्तर गिरता है।
निष्कर्ष
शिक्षा की कमी किसी भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र को अंधकार की ओर ले जाती है। यह केवल किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि सोचने-समझने की शक्ति है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। जब हर बच्चा शिक्षित होगा, तभी हमारा देश सशक्त, समृद्ध और संवेदनशील बनेगा।
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